Saturday, May 17, 2014

"Your action speaks louder than your voice". भाष्कर

"बड़े बड़ाई ना करे बड़े न बोले बोल ; रहिमन हीरा कब कहै लाख टका मो मोल |" 
कविवर रहीम के द्वारा कहा गया यह दोहा पढ़ने एवं सुनने में बहुत साधारण प्रतीत होता है | परन्तु इसका अर्थ बड़ा ही व्यापक है | इस दोहे का केवल सैद्धांतिक पहलु ही नहीं है अपितु इसका व्यवहारिक पक्ष बड़ा ही व्यापक है | यदि हमलोग इसके अनुसार आचरण करें तो हमे कभी भी एवं कहीं भी शर्मिंदा होने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी | यहाँ पर अंग्रेजी का एक कहावत भी बड़ा प्रासंगिक जान पड़ रहा है , "Your action speaks louder than your voice". भाष्कर ! 

निगाहों में मंजिल थी गिरे और गिरकर सम्हालते रहे ! 
हवाओं ने तो बहुत कोशिश की, मगर चराग आँधियों में भी जलते रहे !! 

नन्हा सा फूल हूँ मैं , 
चरणों की धूल हूँ मैं ; 
आया हूँ मैं तो तेरे द्वार , 
प्रभुजी मेरी पूजा करो स्वीकार l 
मैं तो निर्गुनिया, बस इतनी सी बात है ; 
मेरे जीवन की डोरी अब तेरे ही हाथ है ; 
सुन लो हमारी अर्जी , मुझको कुछ ज्ञान दो ; जीवन को जीना सीखूँ , 
ऐसा वरदान दो ; इतना करो उपकार ; प्रभुजी मेरी पूजा करो स्वीकार l

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